राम के शील, शक्ति और सौन्दर्य सेसुसज्जित लोक रक्षक रूप का चित्रण करना तुलसी का प्रमुख उद्देश्य है।
2.
और फिर तुर्रा ये कि उन्हीं के मुँह से राम की लोक रक्षक एवं मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि निर्मित कर देते हैं. ‘
3.
भगवान की महिमा का गान करते हुए कहीं-कहीं प्रसंगवश उनके लोक रक्षक रूप का भी उल्लेख कर दिया है, किन्तु मुख्य विषय [[गोपी]]-कृष्ण का प्रेम है।
4.
जन मानस में लोक रक्षक श्री राम का चरित सहज अंकित है लेकिन यह जानना गर्व की बात होगी कि भारत-भूमि के कण-कण में रमे हुए लोकनायक श्रीराम की कथा सिर्फ वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास ने ही नहीं, अनेक अहिन्दी भाषी कवियों ने भी लिखी है.